बिहार में चुनाव के तारीख जैसे जैसे नजदीक आ रही वैसे वैसे नीतीश कुमार के किले को भेदने का प्रयास भी जोर पकड़ने लगा है । जहाँ एक ओर महागठबंधन के सहयोगी दलों के बीच, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को सीएम पद का चेहरा बनाने में सहमति नही बन पा रही तो वही दुसरी तरफ कन्हैया कुमार की रैली में उमड़ रही भारी भीड़ ने महागठबंधन के नेताओ के बीच बेचैनी बढ़ा दी है । वही इन खबरों के बीच प्रशांत किशोर एक बार फिर सुर्खियों में छा चुके है । सूत्रों के माने तो जदयू से निकाले जाने के बाद खफा प्रशांत बिहार के चुनावी मैदान में एंट्री लेने वाले है ।
तेजस्वी यात्रा से करेंगे दावेदारी मजबूत
दिल्ली के चुनाव में नतीजे बीजेपी जदयू की हार के बीच बिहार में सियासी मैदान में हलचल तेज हो चुकी है । आरजेडी नेता तेजस्वी यादव जहाँ रथ यात्रा के सातग अपनी दावेदारी को और मजबूती प्रदान करने में लगे है वही कन्हैया कुमार की रैलियों में जुट रही भीड़ से उनका मनोबल और बढ़ रहा ।
मांझी ने चली सियासत की नई चाल
प्रशांत किशोर एक बारे रणनीतिकार माने जाते है और उनके किसी पार्टी से जुड़ने पर उस पार्टी का फायदा पहुचना तय माना जाता है । मांझी ने शायद इसी बात को समझ जदयू पर आरोप लगते हुए कहा की जदयू के अंदर जब तक प्रशांत रहे तब तक इन्हें वहाँ से कभी वो सम्मान प्राप्त नही हुआ जो उन्हें मिलना चाहिए, अगर बिहार में पीके महागठबंधन से जुड़ना चाहे तो उनके लिए हमारे दरवाजे खुले है, हम सभी पार्टियां मिलकर इसपर विचार करेंगे । उन्होंने कहा की पीके की विचारधारा से जदयू की विचारधारा अलग है जिससे कारण इन दो लोगो का अलग होना तय था । उन्होंने नीतीश कुमार की शराबबंदी पर प्रहार करते हुए कहा शराबबंदी की हकीकत किसी से छुपी नही है जहाँ जब जिस किसी को जरूरत हो आज भी आसानी से दारू उपलब्ध है, इस कालाबाजारी के धंधे को बढ़ाने में नीतीश सरकार का पूरा हाथ है ।