पटना से बड़ी खबर सामने आ रही है, जहा IGIMS में भर्ती एक कोरोना संक्रमित अस्पताल कर्मियों को चकमा देकर भाग गया । सिवान का एक युवक लिवर की समस्या की वजह NMCH पहुँचा, पर पूरे अस्पताल को कोरोना रोगियों के लिए बनाए जाने की वजह से उसे पटना के ही IGIMS में लाना पड़ा । वहां पहुचने पर काफी भीड़ के बीच उसने पर्ची कटवाई, इसी दौरान जांच के लिए सिवान के इस व्यक्ति की स्क्रीनिंग की गई, जिसके बाद नंबर आने पर डॉकटरों ने उसकी जांच की, जहां इमरजेंसी के कई डॉकटर व मेडिकल स्टाफ़ मौजूद थे.  इस बीच उसके कई टेस्ट भी किये गये थे और इलाज जारी था. 20 अप्रैल से आइजीआइएमएस में भर्ती होने वाले सभी मरीजों का कोराेना टेस्ट अनिवार्य कर दिया गया है। इनमें कोरोना का कोई लक्षण नहीं दिख रहा था. इसके बावजूद टेस्ट लिया गया. ताकि, अगर किसी में संक्रमण हो, तो वह पता चल जाये और दूसरों में नहीं फैले. इन सभी कार्य के हो जाने पर उसे गैस्ट्रो मेडिसिन भेज दिया गया । इसी कड़ी में सीवान के इस मरीज की कोरोना जांच का सैंपल 23 अप्रैल को लिया गया. लेकिन, इसी दिन यह मरीज बिना अस्पताल से छुटटी मिले चुपके से भाग गया. अगले दिन इसके साथ ही जेनरल मेडिसिन व नेफ्रोलोजी के दो अन्य मरीजों की जांच रिपोर्ट पाॅजिटिव आयी. इन दोनों मरीजों को इलाज के लिए एनएमसीएच भेज दिया गया और गैस्ट्रो मेडिसिन के इस मरीज की तलाश शुरू हुई. अब इसके संपर्क में आने वाले करीब 30 डाॅक्टर, नर्स व दूसरे स्वास्थ्यकर्मियों को क्वारेंटिन किया जा रहा है. इसकी लिस्ट तैयार हो चुकी है.

 

आइजीआइएमएस प्रशासन की लापरवाही

24 को जब पता चल गया कि मरीज पाॅजिटिव था तब भी उसके संपर्क में आने वाले डाॅक्टरों व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को 25 अप्रैल को अस्पताल आने से नहीं रोका गया. कोरोना से जंग के बीच अस्पताल से संदिग्ध मरीज भाग गया. लेकिन, आइजीआइएमएस प्रशासन उसे रोक नहीं पाया. आइजीआइएमएस के डाॅ कृष्ण गोपाल के अनुसार सीवान का यह मरीज 15 अप्रैल को ही भर्ती हुआ था. उसका सैंपल 23 अप्रैल को लिया गया था और उसी दिन वह भाग गया. इसके अगले दिन 24 अप्रैल को जांच रिपोर्ट आयी और वह कोरोना पाॅजिटिव निकला.

बचा दें कि पटना के मरीजों की संख्या बढ़कर 34 हो गयी है. वहीं राज्य में शनिवार को 28 नये मरीज मिले, जिससे बिहार में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़कर 251 हो गई है.

संक्रमण की चेन का अंदाजा नहीं

आईजीआईएमएस में आने से पहले मरीज कहां-कहां जांच कराया और किस निजी अस्पताल में इलाज कराया, इसका सुराग नहीं लग सका है। वह पटना किस साधन से आया और एनएमसीएच से लेकर आईजीआईएमएस कैसे आया, इसकी भी जानकारी नहीं मिल पा रही है। ऐसे में संक्रमण की चेन कितनी लंबी है इसका अंदाजा नहीं लग रहा है। सूत्रों का कहना है कि पटना में वह कहीं जांच भी कराया था और इलाज के लिए भी गया था, इसकी कोई जानकारी संस्थान के पास नहीं है। हालांकि प्रशासन मरीज से उसकी ट्रेवेल हिस्ट्री के साथ अन्य जानकारी हासिल करने में लगा है।

 

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