कोरोना वायरस को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया। पीएम ने कहा कि ‘ये संकट ऐसा है, जिसने विश्व भर में पूरी मानवजाति को संकट में डाल दिया है।’ उन्‍होंने कहा कि 130 करोड़ नागरिकों ने कोरोना वैश्विक महामारी का डटकर मुकाबला किया है, आवश्यक सावधानियां बरती हैं। लेकिन, बीते कुछ दिनों से ऐसा भी लग रहा है जैसे हम संकट से बचे हुए हैं, सब कुछ ठीक है। वैश्विक महामारी कोरोना से निश्चिंत हो जाने की ये सोच सही नहीं है। पीएम ने लोगों से अपील की कि वे ‘जनता कर्फ्यू’ लगाएं। ये क्‍या है और आम जनता इसे कैसे लागू करेगी, पीएम ने इसके बारे में भी बताया।

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क्‍या है जनता कर्फ्यू?
पीएम मोदी के मुताबिक, इस रविवार यानि 22 मार्च को सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक कोई व्‍यक्ति बाहर न निकले। अपने आप से कर्फ्यू जैसे हालात करने हैं। पीएम ने अपील की कि संभव हो तो हर व्यक्ति प्रतिदिन कम से कम 10 लोगों को फोन करके कोरोना वायरस से बचाव के उपायों के साथ ही जनता-कर्फ्यू के बारे में भी बताए। पीएम ने अपील की कि रविवार को ठीक 5 बजे हम अपने घर के दरवाजे पर खड़े होकर 5 मिनट तक ऐसे लोगों का आभार व्यक्त करें जो कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। पीएम ने अस्‍पतालों पर दबाव का जिक्र करते हुए लोगों से कहा कि वे रूटीन चेक-अप के लिए अस्पताल जाने से जितना बच सकते हैं, उतना बचें।

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क्‍या है इसका मकसद?
प्रधानमंत्री के अनुसार, ये ‘जनता कर्फ्यू’ कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई के लिए भारत कितना तैयार है, ये देखने और परखने का भी समय है। उन्‍होंने कहा कि ये जनता कर्फ्यू एक प्रकार से भारत के लिए एक कसौटी की तरह होगा। पीएम के मुताबिक, ’22 मार्च को हमारा ये प्रयास हमारे आत्म-संयम, देशहित में कर्तव्य पालन के संकल्प का एक प्रतीक होगा। 22 मार्च को जनता-कर्फ्यू की सफलता, इसके अनुभव, हमें आने वाली चुनौतियों के लिए भी तैयार करेंगे।’

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